۲ آذر ۱۴۰۳ |۲۰ جمادی‌الاول ۱۴۴۶ | Nov 22, 2024
इत्रे क़ुरआन

हौज़ा | आत्महत्या या ऐसा तरीका अपनाना जिससे किसी व्यक्ति की मृत्यु हो हराम है। मनुष्य एक ऐसा प्राणी है जो मुक्ति और मृत्यु का अपना रास्ता स्वयं चुनता है।

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी

तफ़सीर; इत्रे क़ुरआन: तफ़सीर सूर ए बकरा 

بسم الله الرحـــمن الرحــــیم    बिस्मिल्लाह अल-रहमान अल-रहीम
وَأَنفِقُوا فِي سَبِيلِ اللَّـهِ وَلَا تُلْقُوا بِأَيْدِيكُمْ إِلَى التَّهْلُكَةِ ۛ وَأَحْسِنُوا ۛ إِنَّ اللَّـهَ يُحِبُّ الْمُحْسِنِينَ    वअनफ़ेक़ू फ़ी सबीलिल्लाहे वला तुलक़ू बेऐदीयकुम एलत तहलोकते वा अहसेनू इन्नल्लाहा योहिब्बुल मोहसेनीन  (बकरा, 195)

अनुवाद: और अल्लाह की राह में (धन और जीवन) खर्च करो और (अपने आप को) अपने हाथों से नष्ट न होने दो और अच्छे कर्म करो। निस्संदेह अल्लाह अच्छे कर्म करने वालों को पसन्द करता है।

क़ुरआन की तफ़सीर:

1️⃣  इस्लामी समाज की जरूरतों को खर्च करके पूरा करना मोमिनों की जिम्मेदारी है।
2️⃣  स्वार्थ, जिहादी और रक्षात्मक ज़रूरतें तब मूल्यवान हैं जब वे अल्लाह के लिए हों।
3️⃣  आत्महत्या या ऐसा तरीका अपनाना जिससे किसी व्यक्ति की मृत्यु हो जाए हराम है।
4️⃣  मनुष्य वह व्यक्ति है जो अपनी मुक्ति और मृत्यु का मार्ग स्वयं चुनता है।
5️⃣  ख़ुदा की राह में ख़र्च करना और रक्षा ज़रूरतों को पूरा करना तक़वा और ख़ुदा से डरने की निशानी है।
6️⃣  ईश्वरीय कर्तव्यों और कार्यों को शुभ तरीके से करने से अल्लाह ताला का प्यार प्राप्त होता है।


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तफसीर रहानुमा, सूर ए बकरा

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